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Showing posts from April, 2020

आचार्य श्री विद्यासागर - विश्वशान्ति के सच्चे राजदूत

आचार्य श्री विद्यासागर - विश्वशान्ति के सच्चे राजदूत Reposting आचार्य श्री विद्यासागर - विश्वशान्ति के सच्चे राजदूत भगवान महावीर के सच्चे अनुयायी हैं, आचार्य श्री विद्यासागर। त्याग और तप की सुंदर प्रतिमा हैं,आचार्य श्री विद्यासागर। आत्मा के परमात्मा बनने की राह दिखा रहे हैं, आचार्य श्री विद्यासागर। विश्व को प्रेम एवं अहिंसा का मार्ग दिखला रहे हैं, आचार्य श्री विद्यासागर। "भारत बने भारत" का संदेश दे रहे हैं , आचार्य श्री विद्यासागर। राष्ट्र कल्याण का मार्ग दिखा रहे हैं , आचार्य श्री विद्यासागर। इंडिया को फिर भारत बना रहे हैं, आचार्य श्री विद्यासागर। हथकरघा से रोजगार और अहिंसा बढ़ा रहे हैं, आचार्य श्री विद्यासागर। गौवंश की रक्षा पर अपना आशीर्वाद दे रहे हैं, आचार्य श्री विद्यासागर। जीवदया को परम् धर्म मान रहे हैं, आचार्य श्री विद्यासागर। सुशिक्षा को चरितार्थ कर रहे हैं ,आचार्य श्री विद्यासागर। करुणा के सागर हैं, आचार्य श्री विद्यासागर। वात्सल्य की मूर्ति हैं, आचार्य श्री विद्यासागर। सत्य-अहिंसा मार्ग के पथ प्रदर्शक, आचार्य श्री विद्यासागर। युगों युगों तक जिनक

मैं भारत हूँ - जन जागृति से चहुँ ओर रोशनी फैलाऊँगा

*मैं दीया💥 जरूर जलाउँगा..* भारत में है असीम शक्ति, सुनहरा इतिहास लिए खड़ा देश विश्व के साथ। देश मे है क्षमता हर महामारी पर विजय पाने की, ये सारी दुनिया को मैं बताऊंगा... *मैं दीया जरूर जलाउँगा..* मैं मेडिकल टीम के साथ हरपल हूँ खड़ा, करोना बचाव दल है अभी सबके लिए बड़ा। मैं भारत हूँ.. मेडिकल एवं करोना बचाव दल टीम का हौंसला हरदम बढ़ाऊँगा.. *मैं दीया जरूर जलाउँगा..* मैं भारत हूँ, मुसीबतों से नही घबराऊँगा। करोना के अन्धकार को , भारत की एकता की शक्ति से मिटाऊंगा... *मैं दीया जरूर जलाउँगा...* ये इकठ्ठा रोशनी करना कोई थोथा ज्ञान नहीं , जन को जन से जोड़ने वाला मनोविज्ञान है। जिससे मैं हर एक भारतीय मन में, उम्मीद की बाती (रोशनी) जलाउँगा... *मैं दीया जरूर जलाउँगा...* मैं भारत हूँ.. हर भूखे को भोजन करवाउंगा। जीवदया एवं अहिंसा के रास्ते पर चला हूँ.. *"जीयो और जीने दो"* सिद्धांत को ही हमेशा अपनाऊंगा... *मैं दीया जरूर जलाउँगा...* मैं भारत हूँ, उम्मीदों विश्वास से भरी दीप-ज्योति जलाउँगा.. *सर्वजन हिताय - सर्वजन सुखाय* की भावनाओं को ... जन जन तक पहुंचाऊं

विश्वशांति हितकारी सन्देश - "जीयो और जीने दो"

चल इंसान ! चल जाग ! चल उठ ! के हम फिर से एक नई दुनिया बनायेें जहाँ न हो कोई हिंसा मासूम जीवों के साथ, न हो माँस व्यापार ऐसा एक जहाँ बसायें।। जहाँ न सुनाई दे मूक पशु पक्षियों की चीत्कार, जहाँ न हो इंसान का इंसान को खत्म करने वाला सँस्कार। विश्व युद्ध से लेकर करोना महामारी तक इंसान है दहला, खत्म हो दुनिया से परमाणु बम और हर डरावना हथियार।। बंद हो अब तो हिंसा का व्यापार, देखो कैसे इंसान बेबस है। एक सूक्ष्म से कीटाणु (वाइरस) के आगे, इंसानियत हुई कैसे लाचार।। सत्य को जो इंसान है नकारता, वो अपने कर्मो को है पुकारता। जो भरा मन निजी स्वार्थ से, उसको लालच हमेशा है पुचकारता।। जो नहीं चलता कर्म सिद्धान्तों के अनुसार, उसे उसका भाग्य हमेशा है धिक्कारता। आत्म चिंतन और निज आत्म चेतना से होता हर अंधेरा दूर, उस अंतर्चेतना को नकारकर ये इंसान खुद को सर्वज्ञानी है मानता।। आज इंसान नहीं कर पा रहा है अपने भावों की विशुद्धि , वो मदमस्त हाथी जैसा अपने अहंकार में है लहराता । स्वछंद है जिसकी पाशविक प्रवर्त्ति और स्वच्छ नही जिसका मन, ऐसे में इंसान का करुणा रस भीतर से है विवेक को पुक