कर्मों के अधीन घटित होने वाली परिस्थितियों पर गुमान क्यों? एक बार कागज का एक टुकड़ा हवा के वेग से उड़ा और पर्वत के शिखर पर जा पहुँचा। पर्वत ने उसका स्वागत किया और पूछा -भाई! यहाँ ...
कर्म का सामना करो। धर्म की शरण लो। कर्म सामने आएगा उसे भोगना ही होगा। जागरूक होकर सामना करें। संसार मे पूण्य पाप का खेल चलता रहता है। तुम्हारे हाथ में कुछ है ही नही। बड़े बड़े महापुरुषों के जीवन को देखें। महाभारत,रामायण में वनवास मिला।राज्य छोड़ना पड़ा।भगवान पार्श्वनाथ को ,भगवान आदिनाथ को भी उपसर्ग आये। पर उन्होंने समता भाव धारण करके कर्मों का सामना करा। अपने परिणामों को समझो। भागोगे तो दुख बढेगा।