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भारत से इंडिया और इंडिया से भारत तक

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भारत से इंडिया और इंडिया से भारत तक

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इंडिया को फिर 🇮🇳भारत बनाना है....

भारत🇮🇳 को फिर भारत बनाना है.. इंडिया शब्द को हटाना है। इंडिया नाम है अंग्रेजों का, भारतवर्ष देश है शूरवीरों का। आधुनिक एवं प्राचीन ज्ञान के समन्वय की निर्मल गंगा बहाना है.. इंडिया को फिर आत्मनिर्भर 🇮🇳 भारत बनाना है। उन्नत तरीके से खेतीबाड़ी बढ़ाना है.. इंडिया को फिर भारत बनाना है। हथकरघा के माध्यम से अहिंसक वस्त्र बनाना है.. इंडिया को फिर भारत बनाना है। जीवदया से पशुधन और मूक प्राणियों को बचाना है.. इंडिया को फिर भारत बनाना है। अहिंसा का मतलब फिर सबको समझाना है.. इंडिया को फिर भारत बनाना है। अहिंसक जीवनशैली को अपनाना है.. इंडिया को फिर भारत बनाना है। सुशिक्षा और मातृभाषा को उन्नति का साधन बनाना है.. इंडिया को फिर भारत बनाना है। अहिंसक तरीकों से भरपूर रोजगार बढ़ाना है.. इंडिया को फिर भारत बनाना है। भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है... इंडिया को फिर भारत बनाना है। इंडिया को फिर भारत बनाना है.... इंडिया को फिर 🇮🇳भारत बनाना है.... इंडिया को आत्मनिर्भर 🇮🇳 भारत बनाना है.... यह कविता परम् पूज्य गुरुदेव राष्ट्रसन्त एवं विश्वशांति प्रवर्त्तक आचार्य श्री विद्यासागर जी की प्रे

मैं भारत हूँ - जन जागृति से चहुँ ओर रोशनी फैलाऊँगा

*मैं दीया💥 जरूर जलाउँगा..* भारत में है असीम शक्ति, सुनहरा इतिहास लिए खड़ा देश विश्व के साथ। देश मे है क्षमता हर महामारी पर विजय पाने की, ये सारी दुनिया को मैं बताऊंगा... *मैं दीया जरूर जलाउँगा..* मैं मेडिकल टीम के साथ हरपल हूँ खड़ा, करोना बचाव दल है अभी सबके लिए बड़ा। मैं भारत हूँ.. मेडिकल एवं करोना बचाव दल टीम का हौंसला हरदम बढ़ाऊँगा.. *मैं दीया जरूर जलाउँगा..* मैं भारत हूँ, मुसीबतों से नही घबराऊँगा। करोना के अन्धकार को , भारत की एकता की शक्ति से मिटाऊंगा... *मैं दीया जरूर जलाउँगा...* ये इकठ्ठा रोशनी करना कोई थोथा ज्ञान नहीं , जन को जन से जोड़ने वाला मनोविज्ञान है। जिससे मैं हर एक भारतीय मन में, उम्मीद की बाती (रोशनी) जलाउँगा... *मैं दीया जरूर जलाउँगा...* मैं भारत हूँ.. हर भूखे को भोजन करवाउंगा। जीवदया एवं अहिंसा के रास्ते पर चला हूँ.. *"जीयो और जीने दो"* सिद्धांत को ही हमेशा अपनाऊंगा... *मैं दीया जरूर जलाउँगा...* मैं भारत हूँ, उम्मीदों विश्वास से भरी दीप-ज्योति जलाउँगा.. *सर्वजन हिताय - सर्वजन सुखाय* की भावनाओं को ... जन जन तक पहुंचाऊं