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Showing posts from June, 2018

Pita ka Ashirwad ~ पिता का आशीर्वाद

"पिता का आशीर्वाद" एक कविता है पिता का सच्चा आशीर्वाद,  जिसका एहसास हमेशा मन को गुदगुदाता है। जिनके चरणों में बसा होता है स्वर्ग जहाँ, वँहा हर किसी का दिल मुस्कुराता है। पिता का आशीर्वाद है ये जीवन, सारी दुनिया से परे है जिनका समर्पण। रात और दिन भी जिनके सामने थकते हैं, जिनकी मेहनत के फूल परिवार में हमेशा महकते हैं। बना रहता है परिवार एक सुंदर बगिया जिनसे, रिश्तों में भी खुशबू आती है जिनके रहने से। पिता ऐसा सूरज है जो कभी नहीं ढलता है, ईश्वर का एक नाम है"परमात्मा" तो दूजा "पिता" है। हर लम्हा जिनके रहने से, हरदम तरोताज़ा हो जाता है। दिल से चाहते हैं पिता जिनको,  ईश्वर भी उन पर अपना स्नेह बरसाता है। रास्ते कितने भी कठिन हों, रास्तो में चाहे बिछे हो काँटे। पिता का आशीर्वाद ही जीवन के उन रास्तों का सम्मान करना सिखाता है। दुनिया को कई कई बार बदलते देखा, पर पिता का मान हमेशा सर ऊँचा रखना सिखाता है। लोग बदले चाहे जितना रिश्ता बदले, जो कभी न बदले ..... वो *पिता का आशीर्वाद*🙌🏽 है। 🙏🏼🙏🏼🙏🏼एक पिता के आशीर्वाद को सच्चे दिल से नमन🙏🏼🙏🏼🙏

नव भारत निर्माण - New Rising India

#नव भारत निर्माण चलो साथ मिलकर एक नव भारत निर्माण करते हैं🇮🇳  न तेरा हो न मेरा हो , ये भारत हम सबका हँसता 😊 चेहरा हो। एक हो जाएं सारी नदियाँ,  पानी न तेरा हो न मेरा हो... जाग जाएं सभी भारतवासी गहरी नींद से , और एक नया सवेरा हो। रात को चैन की नींद तुझे भी आये और मुझे भी आये। जात पात की चिंता सिर्फ देशविरोधियों को ही सताये। नए भारत के किसान अपनी मेहनत की फसल का सही दाम पाएँ, गरीब करे जी भर के मेहनत और उनको इतना मिले की भूख  न सताये। अमीर हो चाहे गरीब हो , हर कोई मेहनत से देश को आगे बढ़ाए.. मध्यम वर्ग  भी है देश की ताकत , आओ सब मिलजुलकर नया भारत बनाएँ। बढे आगे मेरा देश और देश का हर नौजवान, जात पात के भेदभाव से नया भारत जब मुक्ति पाए। एक हो सभी की मंज़िल , और एक हो सभी के इरादे... तेरी नही मेरी भी एक चाहत हो,  नए भारत में सबके दिलों में राहत हो। तरक्की करे इक्कसवीं सदी का भारत कुछ इस तरह, भृष्टाचार न रह पाए यहाँ और देश में शिष्टाचार का निवास हो। आपस मे झगड़ते झगड़ते बीत गयी , न जाने कितनी सदियां... एक मजबूर नही , एक मजबूत भारत हमारा हो। देश की सरहदें हों पूर्ण सुरक्षित, दुश्म

Karma & Dharam ~ कर्म और धर्म

कर्म का सामना करो। धर्म की शरण लो। कर्म सामने आएगा उसे भोगना ही होगा। जागरूक होकर सामना करें। संसार मे पूण्य पाप का खेल चलता रहता है। तुम्हारे हाथ में कुछ है ही नही। बड़े बड़े महापुरुषों के जीवन को देखें। महाभारत,रामायण में वनवास मिला।राज्य छोड़ना पड़ा।भगवान पार्श्वनाथ को ,भगवान आदिनाथ को भी उपसर्ग आये। पर उन्होंने समता भाव धारण करके कर्मों का सामना करा। अपने परिणामों को समझो। भागोगे तो दुख बढेगा।

Challenges Of India to become Developed Country

Absence of "right will power" to change the system in favor of countryman is the biggest irony of India.After 1947 & since more than 70 years of Independence still we are discussing about the basic health necessities.It shows the lack of will power in implementation of right ideas at right  time.It seems it will take another 100 years to see India as a well Developed country with complete infrastructure growth.Strong Political will required to change the entire system in favour of common man. Increasing population is another big challenge to ensure availability of sufficient resources in next 25 years.Scarcity of Resources to fulfill needs of entire population is biggest threat.These various needs may be related to Water,Greenery ,Health, Business/Job, Infrastructure, Home,Quality Education etc.etc. Entire Political system need to change their mindset.Current political patterns will not much helpful in country's proper growth.All free schemes without any efforts maki

#चल जरा बढ़ती गर्मी से दो दो हाथ हो जाये....

एक तेरा हाथ हो, एक मेरा हाथ हो.. बढ़ती गर्मी और घटते जलस्तर के खिलाफ, हमारा जीवन भर का साथ हो.. फैल जाए हवाओं में थोड़ी ठंडक, काश ऐसा हो जाये.. चल जरा बढ़ती गर्मी से ,दो दो हाथ हो जाये.... #चल जरा बढ़ती गर्मी से दो दो हाथ हो जाये.... थोड़ा तू चले थोड़ा में चलूँ ,हाथों में नन्हा पौधा लेकर... इस पौधे को रोपकर इतनी देखभाल करें, कि वो एक हरा भरा पेड़ बन जाये... रो रही हैं नदियाँ और हताश हैं सारे जल स्त्रोत.. क्यूँ न हम कुछ ऐसा करें, के उनके चेहरों पर रौनक आ जाये... #चल जरा बढ़ती गर्मी से, दो दो हाथ हो जाएं.. सुख रहा है जीवन धरती से, जल स्तर लगातार कम हो जाने से... आओ!बोएँ बीज हरियाली के कुछ इस तरह ,के धरती माँ का आँचल जल से पुनः भर जाए... न हो तेरे मन में उलझन ,न हो मेरे मन में कोई शिकवा.. अगर बचाना है धरती पर जलस्त्रोतों को,तो क्यों न एक जोरदार आगाज हो जाये... #चल जरा बढ़ती गर्मी से, दो दो हाथ हो जाएं.. न ये तेरी जंग है ,न ये मेरी जंग है... पानी की कमी से तो, सारी दुनिया ही तंग है... बचाना है अगर धरती पर मौजुद जलस्त्रोतों को , तो क्यों न इस पर सारा देश और दुनिया एक हो जाये... #च