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Motivational Inspirational Hindi Poetry प्रेरक प्रेरणादायक हिंदी कविता संग्रह

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“ जीवन के उतार चढ़ावों के बीच सफलता की कहानी ”

है मित्र! जब आवाज दूँ, समझ जाना...

है मित्र ! जब दिल से आवाज दूँ, समझ जाना... अभी मिल नहीं सकते, तुम ख्यालों में ही चले आना। है मित्र ! जब दिल से आवाज दूँ, समझ जाना... अभी लॉक डाउन में फँसा हूँ, तुम ये जान जाना। लड़ रही है सारी दुनिया, एक अदृश्य वाइरस "कोरोना" से। हम संग मिलकर जीत जायेंगे ये जंग, तुम भी सारे जहाँ में ये बतला देना।। दोस्तों के चेहरे हैं थोड़े बुझे बुझे , बस वीडियो कॉल कर जरा सा मुस्कुरा देना। फिर वापस आएँगे मस्ती भरे वो पल, ये बात तुम्हीं सबको जतला देना।। तुम्हारे साथ चाय काफी का वो दौर, रह रहकर याद आता है। जब खत्म हो इस वाइरस का प्रभाव, तुम फिर से वो प्याला चाय का पिला देना।। कभी सोचा न था, ये दौर ऐसा आया है । हर चेहरे पर देखो, वाइरस का भय छाया है।। है मित्र! सब ओर मशहूर हैं, किस्से तुम्हारी खुश मिजाजी के। जीवन जीने की अपनी कला से, सबके मन का भय मिटा देना।। फिर लौटकर आएँगे वो दिन , जब हम मिलेंगे "चाय की गुमटी" पर। मुझमें वो उम्मीद जगी है, तुम औरों में भी जगा देना।। अभी तो वक्त है , अपने अपने घरों में सुरक्षित रहने का। मैं भी सबको

" एक नया दिन और नया जीवन " ~ A new day and a new life

"एक नया दिन और नया जीवन" ----------------------------------------------------- अपनों के अपनेपन की वर्षा भी तो देखो, आया आज का "एक नया दिन" तो एक बार पीछे मुड़कर भी तो देखो। जिंदगी की किताब के पन्नों को, पलटकर भी तो देखो.. इन पन्नों में जो लिखा है, उसे सम्मान तो देके देखो। सफर जहाँ से शुरू किया, वो पिता की गोद भी देखो... यादों में जिंदा हो तो , वो अपना बचपन का घर भी तो देखो। जहाँ खेलकूद कर बड़े हुए, वो घर का आँगन भी तो देखो.. जहाँ से सीखा पहला शब्द बोलना, वो दादा - दादी का दुलार भी देखो। जहाँ से सीखा पहला अक्षर लिखना, वो अपना स्कूल भी तो  देखो.... सिखाई जिसने तुम्हें ज्ञान की बातें ,  वो अपने स्कूल के शिक्षक की मेहनत भी तो देखो। जिनकी उँगली पकड़ आयी कदमों में मजबूती , उन पिता को भी तो देखो... साथ निभाया जिन्होंने तुम्हारा हर हाल में , उनका साथ भी तो देखो। जो साथ निभा गया, वो दोस्त और उसकी दोस्ती को भी तो देखो.. और जो बहुत कुछ सीखा गया, उस वक्ती दुश्मनी को भी तो देखो। सीखा जिस माहौल से जिंदगी में आगे बढ़ना , उस माहौल को भी तो देखो...

har raah teree hogee, har manzil teree hogee... हर राह तेरी होगी, हर मंज़िल तेरी होगी...

--------------------------------------------------------------- Ae sachchaee aur achchhaee ke musaaphir..... har raah teree hogee, manzil bhee teree hogee. har saphar tera hoga, bas tu chalta chala ja... har baat teree hogee, mulaakaat bhee teree hogee. har baar tu jeetega, bas tu chalta chala ja... har disha teree hogee, ye aasmaan bhee tera hoga. har koee tera hoga, bas tu chalta chala ja... har baar girkar too uthega, ye bulandiyan bhee teree hogee. har tarah se tera maan badhega, bas tu chalta chala ja... har raat ke baad subah teree hogee, ye din bhee tera hoga. har samay tere lie jhukega, bas tu chalta chala ja... har savaal ka javaab tu hoga, ye kitaab pooree teree hogee. har panna tera svarnamayee hoga, bas tu chalta chala ja... har deevaar teree or jhukegee, ye mahal bhee tera hoga. har ghar tujhase roshan hoga, bas tu chalta chala ja... har dar tera hoga , ye chhat bhee teree hogee. har aangan tujhase mahakega, bas tu chalta chala

नव भारत निर्माण - New Rising India

#नव भारत निर्माण चलो साथ मिलकर एक नव भारत निर्माण करते हैं🇮🇳  न तेरा हो न मेरा हो , ये भारत हम सबका हँसता 😊 चेहरा हो। एक हो जाएं सारी नदियाँ,  पानी न तेरा हो न मेरा हो... जाग जाएं सभी भारतवासी गहरी नींद से , और एक नया सवेरा हो। रात को चैन की नींद तुझे भी आये और मुझे भी आये। जात पात की चिंता सिर्फ देशविरोधियों को ही सताये। नए भारत के किसान अपनी मेहनत की फसल का सही दाम पाएँ, गरीब करे जी भर के मेहनत और उनको इतना मिले की भूख  न सताये। अमीर हो चाहे गरीब हो , हर कोई मेहनत से देश को आगे बढ़ाए.. मध्यम वर्ग  भी है देश की ताकत , आओ सब मिलजुलकर नया भारत बनाएँ। बढे आगे मेरा देश और देश का हर नौजवान, जात पात के भेदभाव से नया भारत जब मुक्ति पाए। एक हो सभी की मंज़िल , और एक हो सभी के इरादे... तेरी नही मेरी भी एक चाहत हो,  नए भारत में सबके दिलों में राहत हो। तरक्की करे इक्कसवीं सदी का भारत कुछ इस तरह, भृष्टाचार न रह पाए यहाँ और देश में शिष्टाचार का निवास हो। आपस मे झगड़ते झगड़ते बीत गयी , न जाने कितनी सदियां... एक मजबूर नही , एक मजबूत भारत हमारा हो। देश की सरहदें हों पूर्ण सुरक्षित, दुश्म

#चल जरा बढ़ती गर्मी से दो दो हाथ हो जाये....

एक तेरा हाथ हो, एक मेरा हाथ हो.. बढ़ती गर्मी और घटते जलस्तर के खिलाफ, हमारा जीवन भर का साथ हो.. फैल जाए हवाओं में थोड़ी ठंडक, काश ऐसा हो जाये.. चल जरा बढ़ती गर्मी से ,दो दो हाथ हो जाये.... #चल जरा बढ़ती गर्मी से दो दो हाथ हो जाये.... थोड़ा तू चले थोड़ा में चलूँ ,हाथों में नन्हा पौधा लेकर... इस पौधे को रोपकर इतनी देखभाल करें, कि वो एक हरा भरा पेड़ बन जाये... रो रही हैं नदियाँ और हताश हैं सारे जल स्त्रोत.. क्यूँ न हम कुछ ऐसा करें, के उनके चेहरों पर रौनक आ जाये... #चल जरा बढ़ती गर्मी से, दो दो हाथ हो जाएं.. सुख रहा है जीवन धरती से, जल स्तर लगातार कम हो जाने से... आओ!बोएँ बीज हरियाली के कुछ इस तरह ,के धरती माँ का आँचल जल से पुनः भर जाए... न हो तेरे मन में उलझन ,न हो मेरे मन में कोई शिकवा.. अगर बचाना है धरती पर जलस्त्रोतों को,तो क्यों न एक जोरदार आगाज हो जाये... #चल जरा बढ़ती गर्मी से, दो दो हाथ हो जाएं.. न ये तेरी जंग है ,न ये मेरी जंग है... पानी की कमी से तो, सारी दुनिया ही तंग है... बचाना है अगर धरती पर मौजुद जलस्त्रोतों को , तो क्यों न इस पर सारा देश और दुनिया एक हो जाये... #च

उड़ जा रे पंछी - Flying Hopes

चल उड़ जा रे पंछी , एक बार फिर से भोर भई .... माना के तेरी उड़ान है अभी थोड़ी सी छोटी.. पर तेरी उम्मीदों का आसमां है बहुत बड़ा। तुझे अपने पंखों को,  थोड़ा और फैलाना होगा... नापना है जीवन का आसमान अगर, तो लम्बी उड़ान के लिए बढ़ना होगा। तू बैठा है पेड़ की जिस शाखा पर, उसीको क्यों तू काट रहा... उम्मीदों को तू अपनी,  बेवकूफी से किस कदर छाँट रहा। जब तक नही जुड़ेगा सकारात्मक विचारों से , तेरे मन का धागा... तब तक तू रहेगा , अपने आप में अभागा। चल चुन ले वह मन का दाना , अपनी उम्मीदों को भोग लगाने का..  मन ही मन स्वयम को जीत ले , यही तरीका है संसार सागर में नैया पार लगाने का। चल ले चल अपनी कश्ती , इस संसार सागर में... के तुझे अब , तूफानों से भी टकराना होगा। बीच मझदार में, फंसी अगर तेरी कश्ती... तो तुझे ही उसे, उस पार लगाना होगा । तेरा कर्म ही ,तेरा परम धर्म है.... ये बात तुझे अब, सबको बतलाना होगा। मिलती हैं मंज़िले ,उन्ही कर्मवीरों को... जिन्हें भरोसा होता है ,खुदके बाजुओं पर। के तुझे अपने कंधो पर , उम्मीदों का बोझ खुद ही उठाना होगा... आखिर ये तेरी अपनी है उड़ान,  और अपनी तक़दीर तुझे ही खुद बन

Pehli Baarish aur Bachapan ~ पहली बारिश और बचपन

Pehli baarish ki masti mai mere yaaron, Aayo ho jaayen kahin hum goom.... पहली बारिश की मस्ती में मेरे यारों, आओ हो जायें कहीं हम गुम.... bachpan ki oon yaadon ki galiyon ka, pata hum sabko hai maloom... बचपन की उन यादों की गलियों का, पता हम सबको है मालूम.... Chat par jana, aur pehli baarish mai jamkar nahana... छत पर जाना ,और पहली बारिश में जमकर नहाना... aur papa ki daant se, fir goomsoom sa ho jana.. और पापा की डांट से, फिर गुमसुम सा हो जाना.. paani rok rok kar, oosme apni naav tairana... पानी रोक रोककर, उसमे अपनी नाव तैराना.. wo bhi kyaa jamana tha yaaron.. वो भी क्या जमाना था यारों... school aate jaate, sadak mai ghootno tak hamare paanvon ka doob jana.. स्कूल आते जाते ,सड़क में घुटनों तक हमारे पांवों का डूब जाना... wo cycle se, ek doosre par paani udana... वो साइकिल से , एक दूसरे पर पानी उड़ाना.. aaj bhi yaad aata hai, to ek muskurahat si aa jati hai... आज भी याद आता है, तो एक मुस्कुराहट सी आ जाती है.. wo bindaas bachapn ka jamana, aur pehli baarish mai hamara

बचपन के मेहमान - Bachpan ke Mehmaan - guests of childhood

चल वक्त से थोड़ा सा फिर मजाक कर ले... जो खोये हैं लम्हे उन्हें याद ही कर ले । क्या थी तेरी-मेरी हैसियत बचपन की गलियों में... चल आज फिर उस बचपन को याद कर ले। तोड़ लेता था तू डगाल पर लगी इमलियो को... न रोकता था तू साइकिल के पेडलो को। भागता था एक तेज हवा सा स्कूल के मैदानों में... तू ही तो था जो क्रिकेट का असली आल राउंडर था। थाम लेता था एग्जाम्स के दिनों में पैन को यूँ.. के तुझ से बड़ा पढ़ाकू भी कोई न था। क्या लगती थी आई एम् पी भी तेरे ज्ञान के आगे.. के आधा पेपर तो तू छपने के पहले ही बाँट देता था। दौड़ता था बचपन तेरा गली, मोहल्लों और स्कूल के मैदानों में .. आज दौड़ता है तू जिंदगी के घमासान आसमान में। छूना चाहता है तू चाँद और सितारों को.. भूल जाता है तू अपनी ही ज़मीन के नजारों को। दौड़ कौनसी अच्छी लगी अब तुझे... या भूल गया तू बचपन के मासूम अरमानों को। थोड़ा सा अभी जगा हुआ है... तो जगा ले फिर बचपन के मेहमानों को। ये मेहमान ही हैं जो पुरानी यादों से निकल आते हैं.. मिलने आते हैं फिर अपने घर चले जाते हैं। जिंदगी यु ही बीत जायेगी हमेशा की तरह.. ये मेहमान फिर भी आ आकर तुझे हमेशा गुद

छोटी ख़ुशी

एक बार मिली जिंदगी, तो हमने भी शिकायत कर दी.. हमने जो चाहा, वो तो हमे मिला ही नही.. जिंदगी हंसके बोली... अरे पगले! मैं तो भेजती रही हमेशा, खुशियों के छोटे-छोटे जाम.. पर तू करता रहा इंतेज़ार ,पूरी बोतल का.. छोटा जाम तो ,तूने पिया ही नही... छोटी छोटी खुशियाँ ही, जिंदगी में बड़ा नशा देती हैं.. बड़ी बड़ी खुशियाँ कई बार, इंसान को मदहोश बना देती हैं... तो मेरे प्यारे! जा जी ले , और छोटी छोटी खुशियों के जाम पी ले.. नशा तुझे बड़ी ख़ुशियों का ही आएगा, ये बात तू समझ ले.. याद रख के , छोटी छोटी ख़ुशियों में छुपी होती है बड़ी खुशियां... क्योंकि बड़ी खुशी ,छोटी ख़ुशी की ही तो परछाई होती है...