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" एक नया दिन और नया जीवन " ~ A new day and a new life

"एक नया दिन और नया जीवन" ----------------------------------------------------- अपनों के अपनेपन की वर्षा भी तो देखो, आया आज का "एक नया दिन" तो एक बार पीछे मुड़कर भी तो देखो। जिंदगी की किताब के पन्नों को, पलटकर भी तो देखो.. इन पन्नों में जो लिखा है, उसे सम्मान तो देके देखो। सफर जहाँ से शुरू किया, वो पिता की गोद भी देखो... यादों में जिंदा हो तो , वो अपना बचपन का घर भी तो देखो। जहाँ खेलकूद कर बड़े हुए, वो घर का आँगन भी तो देखो.. जहाँ से सीखा पहला शब्द बोलना, वो दादा - दादी का दुलार भी देखो। जहाँ से सीखा पहला अक्षर लिखना, वो अपना स्कूल भी तो  देखो.... सिखाई जिसने तुम्हें ज्ञान की बातें ,  वो अपने स्कूल के शिक्षक की मेहनत भी तो देखो। जिनकी उँगली पकड़ आयी कदमों में मजबूती , उन पिता को भी तो देखो... साथ निभाया जिन्होंने तुम्हारा हर हाल में , उनका साथ भी तो देखो। जो साथ निभा गया, वो दोस्त और उसकी दोस्ती को भी तो देखो.. और जो बहुत कुछ सीखा गया, उस वक्ती दुश्मनी को भी तो देखो। सीखा जिस माहौल से जिंदगी में आगे बढ़ना , उस माहौल को भी तो देखो...

har raah teree hogee, har manzil teree hogee... हर राह तेरी होगी, हर मंज़िल तेरी होगी...

--------------------------------------------------------------- Ae sachchaee aur achchhaee ke musaaphir..... har raah teree hogee, manzil bhee teree hogee. har saphar tera hoga, bas tu chalta chala ja... har baat teree hogee, mulaakaat bhee teree hogee. har baar tu jeetega, bas tu chalta chala ja... har disha teree hogee, ye aasmaan bhee tera hoga. har koee tera hoga, bas tu chalta chala ja... har baar girkar too uthega, ye bulandiyan bhee teree hogee. har tarah se tera maan badhega, bas tu chalta chala ja... har raat ke baad subah teree hogee, ye din bhee tera hoga. har samay tere lie jhukega, bas tu chalta chala ja... har savaal ka javaab tu hoga, ye kitaab pooree teree hogee. har panna tera svarnamayee hoga, bas tu chalta chala ja... har deevaar teree or jhukegee, ye mahal bhee tera hoga. har ghar tujhase roshan hoga, bas tu chalta chala ja... har dar tera hoga , ye chhat bhee teree hogee. har aangan tujhase mahakega, bas tu chalta chala

भगवान महावीर - जैन दर्शन

अनेकांत के दृष्टा श्री भगवान महावीर ने द्रव्य के निरंतर बदलते असंख्य पर्याय दिखाये| मार्ग तो दिखाया पर मंजिल पाने के बाद किसी से नहीं मिले| अपनी मंजिल तक खुद ही चलना यही भगवान महावीर की शिक्षा थी| न सहारा, न साथी, न सुविधा, न संरक्षण न बचाव| अपनी नौका खुद चलाना होगा| कितनी भी भीड़ हो साधना अकेले ही होगी| यश के पीछे मत दौड़ना भटक जाओगे| ज्ञान भी खुद ही पाना होगा| दृष्टि भी खुद की ही होगी| आचरण भी अकेले का| वे एकांत पथिक थे| भटकाव मिटाया था उन्होंने| न किसी ईश्वर ने दुनिया बनाई, न वह अवतार लेगा, न पापों की क्षमा होगी, न कोई तुम्हें तारेगा| स्वयं पर विश्वास रखो| स्वयं ही प्रयत्न करो| स्वयं ही जानो| धर्म मार्ग है, मुक्ति मंजिल है| यात्री वही जो चलने का साहस जुटा सके| बाहरी यात्रा में अनुयायी हो , अंतर यात्रा में स्वयं का नेतृत्व स्वयं करो| पीछे कोई नहीं दिखेगा, आगे भी सिर्फ आपका अपना ज्ञान होगा जो पथ प्रदर्शन करेगा| (अन्य धार्मिक स्तोत्र से साभार प्राप्त)

जीवन द्रष्टान्त -1

🙏🏼 *जय जिनेंद्र* 🙏🏼 लाओत्से एक बार एक वृक्ष के नीचे बैठे थे । अचानक हवाएं चलने लगी उसकी नजर एक सूखे पत्ते पर पड़ी। हवाओ के झोखों से वह पत्ता कभी एकदम ऊपर उड़ जाता फिर अचानक वह जमीन पर आ पड़ता था। कभी वह दाएं ओर कभी वह बायें ओर.. कभी ऊपर कभी नीचे... उसने देखा वह पत्ता बिल्कुल राजी था।उसे ऊपर उड़ने में कोई अहंकार नही था और न ही नीचे गिरने पर कोई शिकायत नही थी... दाये बाए पूरब पश्चिम किसी भी दिशा में जाने पर भी कोई विरोध नही.... बस चुपचाप वह पत्ता हवाओं के साथ मस्त था। लाओत्से वहा से उठ गया एक अदभुत आनन्द के साथ एक नए अनुभव के साथ...ये क्षण उसके जीवन में एक नई क्रान्ति उत्पन्न कर गया। जहाँ शिकवा शिकायत है वहाँ समर्पण नहीँ.... और जहाँ समर्पण है वहाँ कोई शिकवा नहीं.... *बस एक अहोभाव।* *एक अद्भुत शान्ति.. 😇* 🙏🏼 *पूर्ण धन्यवाद..*🙏🏼 *आभार से भरी हुई.....* (अन्य धार्मिक स्तोत्र से साभार प्राप्त)