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Muni Shri Praman Sagar Ji ~ Mangal Bhavna _मुनि श्री प्रमाण सागर जी - मंगल भावना

मंगल भावना मंगल-मंगल होय जगत् में, सब मंगलमय होय। इस धरती के हर प्राणी का, मन मंगलमय होय॥ कहीं क्लेश का लेश रहे ना, दुःख कहीं भी होय। मन में चिन्ता भय न सतावे, रोग-शोक नहीं होय॥ नहीं वैर अभिमान हो मन में, क्षोभ कभी नहीं होय। मैत्री प्रेम का भाव रहे नित, मन मंगलमय होय॥   मंगल-मंगल..... मन का सब सन्ताप मिटे अरु, अन्तर उज्वल होय। रागद्वेष औ मोह मिट जाये, आतम निर्मल होय॥ प्रभु का मंगलगान करे सब, पापों का क्षय होय। इस जग के हर प्राणी का हर दिन, मंगलमय होय॥ मंगल-मंगल.... गुरु हो मंगल, प्रभु हो मंगल, धर्म सुमंगल होय।  मात-पिता का जीवन मंगल, परिजन मंगल होय॥ जन का मंगल, गण का मंगल, मन का मंगल होय। राजा-प्रजा सभी का मंगल, धरा धर्ममय होय॥  मंगल-मंगल..... मंगलमय हो प्रात हमारा, रात सुमंगल होय। जीवन के हर पल हर क्षण की बात सुमंगल होय।  घर-घर में मंगल छा जावे, जन-जन मंगल होय।  इस धरती का कण-कण पावन औ मंगलमय होय॥   मंगल-मंगल.... दोहा:- सब जग में मंगल