है मानव! धरती माता की सुन लो पुकार, अब बंद करो प्रकृति पर अत्याचार। मत करो पशु पक्षियों के जीवन से खिलवाड़, अब तो करो दया सुन लो उनकी चीत्कार। रोज रोज नए बहाने ढूँढते हो, हर दिन प्रकृति को किस्तों में नष्ट करते हो। कौन रोकेगा तुम्हारे इन गलत इरादों को, जो तुम प्रकृति को लाचार बनाते हो। प्रकति ने दिया तुम्हे सुंदर जीवन, उसी को फिर क्यों मिटाते हो। कभी बनाते हो परमाणु हथियार , और कभी करोना फैलाते हो। नहीं माफ करेगी प्रकति तुम्हें अब, ये बात समझ क्यों नहीं पाते हो। अब भी वक्त है थाम लो हाथ प्रकृति माँ का, वही महाविनाश से बचने का रास्ता दिखला सकती है। है मानव! धरती माता की सुन लो पुकार, अब बंद करो प्रकृति पर अत्याचार।