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बारिश का पानी और कागज की नाव

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बीच मझदार में फँसी,  मेरी कागज की नाव। बनाई थी बडे शौक से , बारिश हो जाने के बाद।।    डगमगाती सी लग रही , मेरी कागज की नाव। कभी रिमझिम तो कभी , तेज होता बारिश का पानी।।    कभी खाती हिचकोले , पानी की लहरों के साथ। तो फिर कभी मुसकुराती सी लगती,  संभल जाने के बाद।।   चल रहा है ये सिलसिला, एक लंबे अरसे से। मन मचल भयभीत हो रहा,  जाने कितने समय से।।   बचपन में तो युं ही तैर जाती थी, कागज की ये नाव। अब क्या हुआ ऐसा कि , डरी सहमी सी लग रही कागज की नाव।।    सवाल में ही तो, जवाब छुपा रखा है। कागज की नाव तैराने,  बचपन के जाँबाज दोस्तों को जो बुला रखा है।।   समझ सभी को आया तो , सभी के चेहरों पे मुस्कराहट सी फैल गई। बचपन में नहीं समझते थे दुनियादारी,  तभी तो बेझिझक नाव तैर गई।।   हमारे इतने समझते ही , वो नाव नजरों सेओझल हो गई। कागज की नाव आज फिर, जीवन का सुंदर सन्देश दे गई।।   - स्वप्निल जैन  ( मेरी कुछ वर्ष पूर्व लिखी कविता को पुनः प्रकाशित किया है )

मौसम की पहली बारिश - First Rains

पहली बारिश का कुछ इस तरह का है नजारा, कुदरत ने है इसे बड़ी खूबसूरती से सँवारा। नशा है कुछ इस तरह का इन बारिश की बूंदों में, के अगर छलक जाये आसमां से तो मौसम के पैमाने बदल जाएं। हम ...

Pehli Baarish aur Bachapan ~ पहली बारिश और बचपन

Pehli baarish ki masti mai mere yaaron, Aayo ho jaayen kahin hum goom.... पहली बारिश की मस्ती में मेरे यारों, आओ हो जायें कहीं हम गुम.... bachpan ki oon yaadon ki galiyon ka, pata hum sabko hai maloom... बचपन की उन यादों की गलियों का, पता हम सबको है मालूम.... Chat par jana, aur pehli baarish mai jamkar nahana... छत पर जाना ,और पहली बारिश में ...

Kaagaj ki Naav

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          कागज की नाव  बीच मझदार में फँसी, मेरी कागज की नाव; बनाई थी बडे शौक से ,बारिश हो जाने के बाद।  डगमगाती सी लग रही ,मेरी कागज की नाव; कभी रिमझिम तो कभी ,तेज होता बारिश का पानी। कभी खाती हिचकोले ,पानी की लहरों के साथ; तो फिर कभी मुसकुराती सी लगती, संभल जाने के साथ। चल रहा है ये सिलसिला, लंबे समय से; मन मचल भयभीत हो रहा, जाने कितने समय से। बचपन में तो युं ही तैर जाती थी, कागज की ये नाव; अब क्या हुआ ऐसा कि ,डरी सहमी सी लग रही कागज की नाव। सवाल में ही ,जवाब छुपा रखा है ; कागज की नाव तैराने, बचपन के जाँबाज दोस्तों को जो बुला रखा है। समझ सभी को आया तो ,सभी के चेहरों पे मुस्कराहट सी फैल गई; बचपन में नहीं समझते थे दुनियादारी, तभी तो बेझिझक नाव तैर गई।