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Mother Earth Calling धरती माता की पुकार

है मानव! धरती माता की सुन लो पुकार, अब बंद करो प्रकृति पर अत्याचार। मत करो पशु पक्षियों के जीवन से खिलवाड़, अब तो करो दया सुन लो उनकी चीत्कार। रोज रोज नए बहाने ढूँढते हो, हर दिन प्रकृति को किस्तों में नष्ट करते हो। कौन रोकेगा तुम्हारे इन गलत इरादों को, जो तुम प्रकृति को लाचार बनाते हो। प्रकति ने दिया तुम्हे सुंदर जीवन, उसी को फिर क्यों मिटाते हो। कभी बनाते हो परमाणु हथियार , और कभी करोना फैलाते हो। नहीं माफ करेगी प्रकति तुम्हें अब, ये बात समझ क्यों नहीं पाते हो। अब भी वक्त है थाम लो हाथ प्रकृति माँ का, वही महाविनाश से बचने का रास्ता दिखला सकती है। है मानव! धरती माता की सुन लो पुकार, अब बंद करो प्रकृति पर अत्याचार।

#चल जरा बढ़ती गर्मी से दो दो हाथ हो जाये....

एक तेरा हाथ हो, एक मेरा हाथ हो.. बढ़ती गर्मी और घटते जलस्तर के खिलाफ, हमारा जीवन भर का साथ हो.. फैल जाए हवाओं में थोड़ी ठंडक, काश ऐसा हो जाये.. चल जरा बढ़ती गर्मी से ,दो दो हाथ हो जाये.... #चल जरा बढ़ती गर्मी से दो दो हाथ हो जाये.... थोड़ा तू चले थोड़ा में चलूँ ,हाथों में नन्हा पौधा लेकर... इस पौधे को रोपकर इतनी देखभाल करें, कि वो एक हरा भरा पेड़ बन जाये... रो रही हैं नदियाँ और हताश हैं सारे जल स्त्रोत.. क्यूँ न हम कुछ ऐसा करें, के उनके चेहरों पर रौनक आ जाये... #चल जरा बढ़ती गर्मी से, दो दो हाथ हो जाएं.. सुख रहा है जीवन धरती से, जल स्तर लगातार कम हो जाने से... आओ!बोएँ बीज हरियाली के कुछ इस तरह ,के धरती माँ का आँचल जल से पुनः भर जाए... न हो तेरे मन में उलझन ,न हो मेरे मन में कोई शिकवा.. अगर बचाना है धरती पर जलस्त्रोतों को,तो क्यों न एक जोरदार आगाज हो जाये... #चल जरा बढ़ती गर्मी से, दो दो हाथ हो जाएं.. न ये तेरी जंग है ,न ये मेरी जंग है... पानी की कमी से तो, सारी दुनिया ही तंग है... बचाना है अगर धरती पर मौजुद जलस्त्रोतों को , तो क्यों न इस पर सारा देश और दुनिया एक हो जाये... #च

जलसंकट - Jalsankat

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देशव्यापी जलसंकट,घटती हरियाली और बढ़ता कांक्रिट जंगल ये तीनो विषय बेहद ही चिन्ताजनक है।हाल ही में जो आंकड़े पुरे देश के सामने आये हैं,वो देखकर भी अगर समस्त देशवासियो की नींद न खुले ,तो समझ लीजिये की हम अपने लिए स्वयं ही मुश्किल समय तैयार कर रहे हैं।कुछ आंकड़ो के मुताबिक आज लगभग 33करोड़ देशवासी जलसंकट से लड़ रहे हैं,पीड़ित हैं।कही सुखा पड़ा है। अब वास्तव में जलसंग्रहण,जल बचत,जल दुरूपयोग या जल की बर्बादी पर इमरजेंसी मानकर ठोस और छोटे छोटे कदम उठाने होंगे।राष्ट्रीय और राजकीय सरकार ,म्युनिसिपल कॉरपोरेशन और देश की जनता दोनों को ईमानदारी से साथ मिलकर संयुक्त अभियान चलाना होगा,ताकि आनेवाले वक़्त में जलसंकट से सही तरह से निबट सकें।पहले तो जितनी भी नदियां,नहरे,तालाब और भी अन्य जितने भी प्राकृतिक,अप्राकृतिक जलस्तोत्र हैं ,और भी जितने छोटे बड़े जलस्त्रोत्र हैँ, उनके सदुपयोग, सफाई,सुरक्षा,जलग्रहण क्षमता पर ईमानदारी से ध्यान देना होगा।हरियाली बढ़ाने और सरंक्षित करना अत्यंत आवश्यक है।वाटर रिचार्जिंग भी जरूरी है,सार्वजानिक और निजी दोनों जगहों पर। हरियाली को बचाना बेहद जरूरी है।