देशव्यापी जलसंकट,घटती हरियाली और बढ़ता कांक्रिट जंगल ये तीनो विषय बेहद ही चिन्ताजनक है।हाल ही में जो आंकड़े पुरे देश के सामने आये हैं,वो देखकर भी अगर समस्त देशवासियो की नींद न खुले ,तो समझ लीजिये की हम अपने लिए स्वयं ही मुश्किल समय तैयार कर रहे हैं।कुछ आंकड़ो के मुताबिक आज लगभग 33करोड़ देशवासी जलसंकट से लड़ रहे हैं,पीड़ित हैं।कही सुखा पड़ा है। अब वास्तव में जलसंग्रहण,जल बचत,जल दुरूपयोग या जल की बर्बादी पर इमरजेंसी मानकर ठोस और छोटे छोटे कदम उठाने होंगे।राष्ट्रीय और राजकीय सरकार ,म्युनिसिपल कॉरपोरेशन और देश की जनता दोनों को ईमानदारी से साथ मिलकर संयुक्त अभियान चलाना होगा,ताकि आनेवाले वक़्त में जलसंकट से सही तरह से निबट सकें।पहले तो जितनी भी नदियां,नहरे,तालाब और भी अन्य जितने भी प्राकृतिक,अप्राकृतिक जलस्तोत्र हैं ,और भी जितने छोटे बड़े जलस्त्रोत्र हैँ, उनके सदुपयोग, सफाई,सुरक्षा,जलग्रहण क्षमता पर ईमानदारी से ध्यान देना होगा।हरियाली बढ़ाने और सरंक्षित करना अत्यंत आवश्यक है।वाटर रिचार्जिंग भी जरूरी है,सार्वजानिक और निजी दोनों जगहों पर। हरियाली को बचाना बेहद जरूरी है।