" एक नया दिन और नया जीवन " ~ A new day and a new life
"एक नया दिन और नया जीवन"
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अपनों के अपनेपन की वर्षा भी तो देखो,
आया आज का "एक नया दिन" तो एक बार पीछे मुड़कर भी तो देखो।
जिंदगी की किताब के पन्नों को,
पलटकर भी तो देखो..
इन पन्नों में जो लिखा है,
उसे सम्मान तो देके देखो।
सफर जहाँ से शुरू किया,
वो पिता की गोद भी देखो...
यादों में जिंदा हो तो ,
वो अपना बचपन का घर भी तो देखो।
जहाँ खेलकूद कर बड़े हुए,
वो घर का आँगन भी तो देखो..
जहाँ से सीखा पहला शब्द बोलना,
वो दादा - दादी का दुलार भी देखो।
जहाँ से सीखा पहला अक्षर लिखना,
वो अपना स्कूल भी तो देखो....
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अपनों के अपनेपन की वर्षा भी तो देखो,
आया आज का "एक नया दिन" तो एक बार पीछे मुड़कर भी तो देखो।
जिंदगी की किताब के पन्नों को,
पलटकर भी तो देखो..
इन पन्नों में जो लिखा है,
उसे सम्मान तो देके देखो।
सफर जहाँ से शुरू किया,
वो पिता की गोद भी देखो...
यादों में जिंदा हो तो ,
वो अपना बचपन का घर भी तो देखो।
जहाँ खेलकूद कर बड़े हुए,
वो घर का आँगन भी तो देखो..
जहाँ से सीखा पहला शब्द बोलना,
वो दादा - दादी का दुलार भी देखो।
जहाँ से सीखा पहला अक्षर लिखना,
वो अपना स्कूल भी तो देखो....
सिखाई जिसने तुम्हें ज्ञान की बातें ,
वो अपने स्कूल के शिक्षक की मेहनत भी तो देखो।
जिनकी उँगली पकड़ आयी कदमों में मजबूती ,
उन पिता को भी तो देखो...
साथ निभाया जिन्होंने तुम्हारा हर हाल में ,
उनका साथ भी तो देखो।
जो साथ निभा गया,
वो दोस्त और उसकी दोस्ती को भी तो देखो..
और जो बहुत कुछ सीखा गया,
उस वक्ती दुश्मनी को भी तो देखो।
जिनकी उँगली पकड़ आयी कदमों में मजबूती ,
उन पिता को भी तो देखो...
साथ निभाया जिन्होंने तुम्हारा हर हाल में ,
उनका साथ भी तो देखो।
जो साथ निभा गया,
वो दोस्त और उसकी दोस्ती को भी तो देखो..
और जो बहुत कुछ सीखा गया,
उस वक्ती दुश्मनी को भी तो देखो।
सीखा जिस माहौल से जिंदगी में आगे बढ़ना ,
उस माहौल को भी तो देखो...
बाहर माहौल है चुनोतियो से भरा ,
उस माहौल को भी तो देखो...
बाहर माहौल है चुनोतियो से भरा ,
तो अपने अपनो को हमेशा अपने साथ भी तो देखो।
वक्त बदलता रहता है अपनी चाल,
पर तुम अपने बढ़ते कदमों को भी तो देखो...
हर "नए दिन" में छुपा है आपके आपका सम्पूर्ण जीवन,
इस बात को फिर से समझकर भी तो देखो।
अपनों के अपनेपन की वर्षा भी तो देखो,
आया आज का "एक नया दिन" तो एक बार पीछे मुड़कर भी तो देखो।
स्वप्निल जैन
वक्त बदलता रहता है अपनी चाल,
पर तुम अपने बढ़ते कदमों को भी तो देखो...
हर "नए दिन" में छुपा है आपके आपका सम्पूर्ण जीवन,
इस बात को फिर से समझकर भी तो देखो।
अपनों के अपनेपन की वर्षा भी तो देखो,
आया आज का "एक नया दिन" तो एक बार पीछे मुड़कर भी तो देखो।
स्वप्निल जैन
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