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Showing posts from May, 2020
Hindi Poem Reloaded ऐ सच्चाई और अच्छाई के मुसाफिर.... हर राह तेरी होगी, ...
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Mother Earth Calling धरती माता की पुकार
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है मानव! धरती माता की सुन लो पुकार, अब बंद करो प्रकृति पर अत्याचार। मत करो पशु पक्षियों के जीवन से खिलवाड़, अब तो करो दया सुन लो उनकी चीत्कार। रोज रोज नए बहाने ढूँढते हो, हर दिन प्रकृति को किस्तों में नष्ट करते हो। कौन रोकेगा तुम्हारे इन गलत इरादों को, जो तुम प्रकृति को लाचार बनाते हो। प्रकति ने दिया तुम्हे सुंदर जीवन, उसी को फिर क्यों मिटाते हो। कभी बनाते हो परमाणु हथियार , और कभी करोना फैलाते हो। नहीं माफ करेगी प्रकति तुम्हें अब, ये बात समझ क्यों नहीं पाते हो। अब भी वक्त है थाम लो हाथ प्रकृति माँ का, वही महाविनाश से बचने का रास्ता दिखला सकती है। है मानव! धरती माता की सुन लो पुकार, अब बंद करो प्रकृति पर अत्याचार।
है मित्र! जब आवाज दूँ, समझ जाना...
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है मित्र ! जब दिल से आवाज दूँ, समझ जाना... अभी मिल नहीं सकते, तुम ख्यालों में ही चले आना। है मित्र ! जब दिल से आवाज दूँ, समझ जाना... अभी लॉक डाउन में फँसा हूँ, तुम ये जान जाना। लड़ रही है सारी दुनिया, एक अदृश्य वाइरस "कोरोना" से। हम संग मिलकर जीत जायेंगे ये जंग, तुम भी सारे जहाँ में ये बतला देना।। दोस्तों के चेहरे हैं थोड़े बुझे बुझे , बस वीडियो कॉल कर जरा सा मुस्कुरा देना। फिर वापस आएँगे मस्ती भरे वो पल, ये बात तुम्हीं सबको जतला देना।। तुम्हारे साथ चाय काफी का वो दौर, रह रहकर याद आता है। जब खत्म हो इस वाइरस का प्रभाव, तुम फिर से वो प्याला चाय का पिला देना।। कभी सोचा न था, ये दौर ऐसा आया है । हर चेहरे पर देखो, वाइरस का भय छाया है।। है मित्र! सब ओर मशहूर हैं, किस्से तुम्हारी खुश मिजाजी के। जीवन जीने की अपनी कला से, सबके मन का भय मिटा देना।। फिर लौटकर आएँगे वो दिन , जब हम मिलेंगे "चाय की गुमटी" पर। मुझमें वो उम्मीद जगी है, तुम औरों में भी जगा देना।। अभी तो वक्त है , अपने अपने घरों में सुरक्षित रहने का। मैं भी सबको ...