चल दोस्त ! हम बचपन की तरफ फिर से भागें... Come on friend, let's run back to childhood ...



चल दोस्त !

हम बचपन की तरफ  फिर से भागें...

चल झुका लें आसमाँ फिर से,

अपने कदमों के आगे।


जहाँ थे चाँद सितारे ,

जिनके लिए हम देर रात तक जागे...

चल कदम मिला साथ चल, 

के हम बचपन की तरफ फिर से भागें।


चल आज तोड़ ले,

अतीत के पेड़ से वो मीठी यादें....

मिलती थी खुशियां जहां छोटी छोटी बातों से,

और बड़ो से होती थी प्यार भरी फरियादें।


मुहल्ले के ओटलों पर, 

होती थी ढेर सारी बातें..

और गली मोहल्ले में ही होती थी,

 बचपन के दोस्तों की सारी मुलाकातें।


निकलती थी जहाँ, 

गुल्लक से टाफियां...

गलती करने पर पड़ती थी पापा की डाँट ,

और फिर मिलती थी उनकी माफियाँ।


नजरें ढूंढती थी हमेशा जहाँ, 

हरदम अपने सुपर हीरो को..

और गर्मी की छुट्टियों में मन भागता, 

सिर्फ अपनी नानी के घर को।


मिलावटें नहीं हुआ करती थी,

जहाँ रिश्ते-नातों में...

वो बचपन ही एक सच था दोस्तों, 

जहाँ झूलती थी खुशियां अपनेपन के झूलों में।


आओ! आज के दिखावटी रिश्तों के "झूठ" को, 

क्यों न अतीत के  प्यार भरे "सच" से मिलवा दें..

बेजान रिश्तों की हों अगर मुरझाई कलियाँ,

तो उनको बचपन की यादों की बगिया में फिर खिला दें।


चलो फिर से जी लें, थोड़ा सा बचपन हम सब में..

के बसता है "एक रब", हम सब के बचपन में।

ढूंढना है उस "रब" को, आज हम सब में..

नफरतें मिटा दे जो, दिलों को दिल से मिला दे वो।।


चल झुका लें आसमाँ ,फिर अपने कदमों के आगे...

चल आज तोड़ ले, अतीत के पेड़ से मीठी यादें।


चल दोस्त !

हम बचपन की तरफ  फिर से भागें...

चल कदम मिला साथ चल, 

के हम बचपन की तरफ फिर  से भागें..


स्वप्निल जैन

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