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Showing posts from August, 2018

भगवान महावीर - जैन दर्शन

अनेकांत के दृष्टा श्री भगवान महावीर ने द्रव्य के निरंतर बदलते असंख्य पर्याय दिखाये| मार्ग तो दिखाया पर मंजिल पाने के बाद किसी से नहीं मिले| अपनी मंजिल तक खुद ही चलना यही भग...

जीवन द्रष्टान्त -1

🙏🏼 *जय जिनेंद्र* 🙏🏼 लाओत्से एक बार एक वृक्ष के नीचे बैठे थे । अचानक हवाएं चलने लगी उसकी नजर एक सूखे पत्ते पर पड़ी। हवाओ के झोखों से वह पत्ता कभी एकदम ऊपर उड़ जाता फिर अचानक वह जम...

गुरूवर जब भी मुस्कुराते हैं - मुरझाए चेहरे भी खिल जाते हैं।

Sunday, 19 August 2018 कविता शीर्षक ~ गुरूवर जब भी मुस्कुराते हैं - मुरझाए चेहरे भी खिल जाते हैं ~ _______________________ गुरुवर की अप्रतिम मुस्कान से, मुरझाए चेहरे भी खिल खिल जाते हैं। गुरुवर का रूप है बड़ा निराला, जिनके दर्शन मात्र से भव भव के पाप कट जाते हैं।। _________________________ मेरे गुरूवर जब भी मुस्कुराते हैं, मेरे खयालों में  साक्षात जिनेंद्र भगवान 🙏🏼 चले आते हैं। महसूस होने लगता है अद्भुत आत्म स्पंदन , रुक गया हो जैसे कर्मो का क्रंदन।। जब आँखें बन्द करता हूँ,  गुरूवर की मुस्कुराती तस्वीरें नजर आती हैं। ये आत्मा कर लेती है स्वतः कर्मो की निर्जरा , और पुण्य कमा ले जाती है।।  मिट जाए कर्मों का बंधन, और न रहे जन्म मरण का अंधियारा। ऐसा आशीर्वाद दे दो गुरूवर, के न लेना पड़े जन्म दुबारा।। गुरुवर की अप्रतिम मुस्कान से, मुरझाए चेहरे भी खिल खिल जाते हैं। गुरुवर का रूप है बड़ा निराला, जिनके दर्शन मात्र से भव भव के पाप कट जाते हैं।।    - स्वप्निल जैन

जीवन यात्रा और जीवन विकास

जीवन यात्रा में मंज़िल ,पड़ाव,अध्यात्म और जीवन विकास ये सभी अति महत्वपूर्ण पहलू हैं।किसी को भी नकारना कर्म सिद्धान्त को नकारने के बराबर ही माना जायेगा। हम पैदा होते हैं ,उस...

I am a traveller of my life.... मैं एक मुसाफिर हूँ ,अपने जीवन का...

I am a traveller of my life....  मैं एक मुसाफिर हूँ ,अपने जीवन का... मैं एक मुसाफिर हुँ... अपने उमड़ते घुमड़ते खयालों का, जिंदगी के अनगिनत सवालों का। मैं एक मुसाफिर हूँ... गुजरे बचपन का, आने वाले पचपन का। मैं एक मुसाफिर हूँ.... अपने कारोबार का, अपने रिश्ते-नातों का। मैं एक मुसाफिर हूँ... अपने समाज का, अपने राष्ट्र का। मैं एक मुसाफिर हूँ... अपने परिवार के सुख-दुख का, अपनी जिमेदारियों का। मैं एक मुसाफिर हूँ... अपने बच्चों के सुख का, उनके आने वाले कल का। मैं एक मुसाफिर हूँ... अपने सुखों का, अपने दुखों का। मैं एक मुसाफिर हूँ... अपने धर्म का, अपने कर्म का। जी हाँ !  मैं एक मुसाफिर हूँ.... अपने वर्तमान और भविष्य का। हाँ ! मैं एक मुसाफिर हूँ , अपने जीवन के अनमोल सफर का..... - स्वप्निल जैन