गुरूवर जब भी मुस्कुराते हैं - मुरझाए चेहरे भी खिल जाते हैं।
Sunday, 19 August 2018
कविता शीर्षक
~ गुरूवर जब भी मुस्कुराते हैं - मुरझाए चेहरे भी खिल जाते हैं ~
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गुरुवर की अप्रतिम मुस्कान से,
मुरझाए चेहरे भी खिल खिल जाते हैं।
गुरुवर का रूप है बड़ा निराला,
जिनके दर्शन मात्र से भव भव के पाप कट जाते हैं।।
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मेरे गुरूवर जब भी मुस्कुराते हैं,
मेरे खयालों में साक्षात जिनेंद्र भगवान 🙏🏼 चले आते हैं।
महसूस होने लगता है अद्भुत आत्म स्पंदन ,
रुक गया हो जैसे कर्मो का क्रंदन।।
जब आँखें बन्द करता हूँ,
गुरूवर की मुस्कुराती तस्वीरें नजर आती हैं।
ये आत्मा कर लेती है स्वतः कर्मो की निर्जरा ,
और पुण्य कमा ले जाती है।।
मिट जाए कर्मों का बंधन,
और न रहे जन्म मरण का अंधियारा।
ऐसा आशीर्वाद दे दो गुरूवर,
के न लेना पड़े जन्म दुबारा।।
गुरुवर की अप्रतिम मुस्कान से,
मुरझाए चेहरे भी खिल खिल जाते हैं।
गुरुवर का रूप है बड़ा निराला,
जिनके दर्शन मात्र से भव भव के पाप कट जाते हैं।।
- स्वप्निल जैन
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