चल दोस्त

चल झुका लें आसमाँ फिर से, अपने कदमों के आगे... चल आज तोड़ ले, अतीत के पेड़ से वो मीठी यादें.. चल कदम मिला साथ चल, के हम बचपन की तरफ फिर भागें... जहाँ थे चाँद सितारे ,जिनके लिए हम देर रात तक जागे.. मिलती थी खुशियां जहां, छोटी छोटी बातों से.. मुहल्ले के ओटलों पर, होती थी ढेर सारी बातें.. निकलती थी जहाँ, गुल्लक से टाफियां... गलती करने पर पड़ती थी ,पापा की डाँट फिर माफियाँ.. नजरें ढूंढती थी हमेशा जहाँ, अपने सुपर हीरो को.. और गर्मी की छुट्टियों में, अपनी नानी के घर को.. चलो फिर से जी लें, थोड़ा सा बचपन हम सब में.. के बसता है "एक रब", हम सब के बचपन में.. ढूंढना है उस "रब" को,आज हम सब में.. नफरतें मिटा दे जो, दिलों को दिल से मिला दे वो.. आओ उस अतीत के "सच" को, आज के "झूठ" से मिला दें.. मिलावटें नहीं हुआ करती थी,जहाँ रिश्ते-नातों में.. वो बचपन ही एक सच था, जहाँ झूलती थी खुशियां अपनेपन के झूलों में.. • चल झुका लें आसमाँ ,फिर अपने कदमों के आगे... चल आज तोड़ ले, अतीत के पेड़ से मीठी यादें..

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