निर्मल भावों की गंगा अनवरत बहने दो..


निर्मल भावों की गंगा अनवरत बहने दो,
जो कहता है कलाकार का अंतर्मन उसे कहने दो।
जो हरदम रहेगा साथ वो है आपका सच्चा जज्बात,
उस जज्बात को यूँ ही बने रहने दो।।


बड़ा अशांत हो चला है मन,
उसको जीवन की कुछ अनचाही भी सहने दो।
रहा करता है बैचैन अक्सर क्यों ये दिल,
दिल को भी तो अपनी बात रखने दो।।


चलते हुए जब रुक जाते हो,
जहां न झुकना हो वहाँ भी झुक जाते हो।
ऐसी कई बातें हैं जिनको भूल जाते हो,
अब तो मन को अनकही बातें बोल जाने दो।।


जीवन से निकाल लो अब तो ये आदत,
इस आदत को अब तो बदल जाने दो।
मत झेलो बिना बात का शोर शराबा,
कुछ बातें अधूरी रहें तो अधूरी रह जाने दो।।


निर्मल भावों की गंगा अनवरत बहने दो,
जो कहता है कलाकार का अंतर्मन उसे कहने दो।
जो हरदम रहेगा साथ वो है आपका सच्चा जज्बात,
उस जज्बात को यूँ ही बने रहने दो।।


उस जज्बात को यूँ ही बने रहने दो...

उस जज्बात को यूँ ही बने रहने दो...

✍️ स्वप्निल

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