जब मन अशांत हो तब सुशांत सबको क्यों छोड़ जाते हैं... Jab man (mind) ashaant ho tab Sushaant sabako kyon chhodh jaate hain...

Dated : 17/10/2019
मानव मन , मानव मस्तिष्क और उसके सोच के तरीके से संबंधित मेरी एक पुरानी पोस्ट।

One of my old post related to human mind and its thinking patterns.



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(Dated 17/10/2019)


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(Dated 20/10/2019)


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(Dated 20/10/2019)

जब सबको ईश्वर ने सुंदर जीवन दिया है, तो फिर क्यों उसे इस तरह छोड़ दिया जाय।


हाल ही कि स्तब्धकारी घटना निश्चित तौर पर मानव मस्तिष्क के अंदर चल रही उथल पुथल का ही नतीजा प्रतीत होती है।

फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के बारे में खबर सुनने के बाद मैं स्तब्ध रह गया। वह मेरे पसंदीदा अभिनेताओं में से एक थे। निस्संदेह वह एक अच्छे अभिनेता थे और उन्होंने जो स्थान अपनी कलाकारी और कडी मेहनत से बनाया था वह स्थान आज रिक्त हो गया। उन्होंने कड़ी मेहनत करने के बाद बड़ी सफलता हासिल की।छोटे से स्थान से आकर बॉलीवुड के सफल कलाकारों में अपना एक अलग स्थान बनाया।फिर क्या वजह हो सकती है जो उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़ा।


The  recent shocking incident certainly seems to be the result of the turmoil going on inside the human mind. 
  
I was shocked after hearing the news about the film actor Sushant Singh Rajput. He was among one of my favorite actors. Undoubtedly, he was a good actor and the place he had created with his artistry and hard work became vacant today.

He achieved great success after working hard. He came from a small place and made a different place among the successful Bollywood actors. Then what could be the reason he had to take such a step.


जब मन अशांत हो तब सुशांत सबको क्यों छोड़ जाते हैं। 
वक्त आता है और आगे बढ़ने का तो जिंदगी से मुँह क्यों मोड़ जाते हैं।।

जिनको थी मिली पहचान बिना विरासत के।
वो जाने कैसी ये 
यादें अपने चाहने वालों के लिए छोड़ जाते हैं।।

कभी छिछोरे बनकर वह जीवनदायी संदेश दे जाते है।
पर जब खुद पे जब बात आती है तो  निराश कर जाते हैं।।

जिन्होंने हासिल किया मुकाम बडी मेहनत से।
तो फिर अपने उस हौंसले को क्यों भूल जाते हैं।।

छवि खिलाड़ी की गढ़कर बेहतरीन खेल खेल जाते हैं।
फिर जिंदगी की बाउंसर पर खुद क्यों आउट हो जाते हैं।।

सफलता मिलने के बावजूद ये कैसा सूनापन ओढ़ ले जाते हैं।
 और लोगों के जहन में न जाने कितने सवाल छोड़ जाते हैं।।

जब मन अशांत हो तब सुशांत हमें क्यों छोड़ जाते हैं। 
वक्त आता है और आगे बढ़ने का तो मुँह क्यों मोड़ जाते हैं।।

- स्वप्निल जैन 

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